स्वतंत्र गर्व उनका जो नर फ़ाको में प्राण गंवाते  है , पर नहीं बेच मन का प्रकाश रोटी का मोल चुकाते है 

दोस्तों ,

महान कवि राम धारी सिंह दिनकर जी के ये कविता की चंद पंक्तिआं आज़ादी के दीवानों में एक हुंकार  भर देती थी , पर अफ़सोस अब ना तो  ऐसे कवि है ना ऐसी कविताये और ना ही आज़ादी के दीवाने, क्यों की सब को बस यही लगता है की हम तो आज़ाद देश के नागरिक है तो और अब किस बात की आज़ादी चाहिए । हां , ये सच है की भारत एक आज़ाद देश है पर क्या हम भारतीयों की मानसिकता भी, सोच भी आज़ाद है ।

इतिहास गवाह है हम सदियों से गुलाम थे , है और रहेंगे । पहले राजा महाराजा हम पे राज करते थे और हम गुलामी के ही एक पर्यावाची शब्द प्रजा कहलाते थे फेर अंग्रजो के गुलाम बने और अब नेताओ के गुलाम है । आखिर फरक क्या है राजा महाराजा हमारे बिच से थे इसलिए वो हम पे राज करे और हम खुश हो राजा जी की जय जय कार करते रहे । अब भी कुछ नेता हम पर राज कर है और हम उनकी जय जय कार कर रहे है । अंग्रेज भी हिदुस्तान राज करने के मक़सद से नहीं धंधा करने आये थे और हमारी गुलामी वाली मानसिकता को समझ हम पे राज करने लगे ।

अंग्रेज विदेशी थे हमारे अपने नहीं थे इसलिए हम उनको खड़ेंने में जी जान से लग गए । जैसे आप अपने पालतू कुत्ते को प्यार से TOMMY पुकारे और कोई उसे कुत्ता कह देता है तो आप बुरा मान जाते है । आखिर गुलामी का मतलब क्या ये है कोई हमे बेड़िओ में जकड़ के रखे दरअसल गुलामी का मतलब है  RAMU KAKA टाइप का किरदार । क्या फरक है किसी भी दौर में हमारे किरदार का ।

आज भारत में दुनिआ का सब से बड़ा लोक तंत्र है और लोक तंत्र का मतलब अपना प्रतिनिधि चुनना होता है राजा नहीं । पर हो क्या रहा है हमारा प्रतिनिधि अपने आप का राजा समझने लगता है और हमारी गुलामी वाली मानसिकता भी उसे राजा ही तसलीम कर देती है । राजनीति आज के दौर में सबसे मुनाफे वाला धंधा बन गयी है । आम जनता को रोटी के भी लाले पड़े रहते है और हमारे नेता जी छाए सत्ता पछ के हो या विपछ के बड़े ही मौज में रहते है ।

बचपन से हमारे दिमाग में यही सेट कर दिया जाता है कि गरुआ वस्त्र पहनेने वाला साधु सन्यासी , जीन्स कुरता वाला कलाकार , सफ़ेद कोट वाला डॉक्टर , काळा कोट वाला वकील और कुर्ते पाजेमे या धोती वाला नेता । हम मूर्खो कि तरह किसी के गुणों कि जगह पहनावे से उनको इज़्ज़त देते है । यानि बचपन से ही हमारी मानसिकता समझने कि जगह दिखावे पर यकीन करने लग जाती है और यही से शुरू हो जाती है हमारी सोचो कि गुलामी ।

दोस्तों , आज़ादी के 76 साल पुरे होने चले है और इन 76 सालों में सब से तरक्की हुई है नेताओ की, राजनीति करने वालो की , इसमें सब से बड़ी खूबी तो ये है की आप को किसी डिग्री की जरुरत नहीं , कोई पढाई लिखाई की जरुरत नहीं बस वाक्पटुता आणि चाहिए , लोगो को बड़े बड़े सपने दिखा के अपने सपने पुरे करने की कला आनी चाहिए फेर भले ही आप अंगूठा छाप हो बड़े बड़े पढ़े लिखे IAS , IPS OFFICERS भी आप को सर सर कहेंगे । बस खद्दर का कुरता पजामा पहिनिये और कूद पड़िये राजनीति के अखाड़े में , चल पड़ी तो राजा नहीं तो क्या है जाता ।

आखिर क्यों , नेता बन ने का कोई EXAM नहीं होता , उनकी काबिलियत को परखने के कोई मानके नहीं होते है , योग्यता अयोग्यता का निर्धारण नहीं होता । आखिर देश के सविंधान में क्यों नहीं देश को, देश की जनता की बागडोर को सँभालने वाला किस काबिल है पता करने का कोई तरीका तरीका ही नहीं लिखा ।

एक गरीब रेल की टिकट पैसे नहीं होने की वजह से बिना टिकट रेल में चढ़ जाता है और पकडे जाने पे जेल की हवा खाता है , वही एक पैसे वाला कानून का मज़ाक उड़ाने के लिए बिना टिकट रेल में चढ़ जाता है की पकडे जाने पे जुरमाना दे के छूट जायेगा , आखिर क्यों नहीं समान दंड सहिंता होनी चाहिए बिना टिकट मतलब जेल ही होना चाहिए । ये तो बस एक छोटी सी विसंगति  उदहारण है , आप और हम हमेशा हमेशा यही देखते आये है की ताकतवर और प्रभावशाली बड़े से बड़े जुर्म में भी आज़ाद घूमते है और एक आम इंसान छोटे से जुर्म में भी  जेल में सड़ रहा होता है ।

आज तक यानि पिछले 76 सालो में जो भी सरकार आज़ाद भारत में बनी किसी ने भी अदालतों की संख्या बढ़ाने की दिशा में ज्यादा प्रयास नहीं किया  जो की सब से ज्यादा आवशयक है छोटे से छोटे केसेस भी सालो दर सालो चलते है और बस तारीखों पे तारीखे ही पड़ती रहती है । बस आम जनता अपना हक़ पाने के लिए अदालतों के चक्कर  दर चक्कर लगाती रह जाती है और कोई फैसला भी नहीं हो पाता ।

आज़ादी के आज 76 साल पुरे हुए, इन 76 सालो में बहुत सी सरकारें बनी और देश के विकास का ठेका लिया पर क्या सच में भारत का विकास हुआ है सच तो बस ये है की आज हम दुनिआ के लिए सब से बड़े CONSUMER MARKET बने हुए है । बड़ी बड़ी विदेशिया कंपनी भारत में आ के अपना PRODUCT बेच के पैसे कमाती है । आखिर कहाँ है आत्म निर्भर भारत ????

दोस्तों , आत्म निर्भर भारत बस एक सपना है जिसे आज तक हम देखते आये है और आगे भी देखते रहेंगे वजह क्या हम भारतीयों में इतना भी हुनर नहीं है कि हम अपने आप को साबित कर पाए , असल वजह बस ये है कि हम कुछ नया करना चाहेंगे तो हमे कही से भी कोई भी SUPPORT नहीं मिलेगा, मिलेगा तो बस सरकारी दफ्तरों , बैंको के धक्के खाने । इसी वजह से कितने अफ़सोस कि बात है कि आज के दौर में हर माँ बाप कि बस ये मानसिकता हो गयी है कि बेटा हो बेटी बस खूब पढ़े-लिखे और कोई अच्छी सी नौकरी करे । कभी ये भी आपने सोचा है कि अगर ” नौकरी ” से ” इ ” कि मात्रा निकाल दे तो क्या रह जाता है सिर्फ और सिर्फ ” नौकर ”  यानि कि किसी भी शिफ्ट 8 घंटे कि गुलामी क्या ये ही है आज़ाद भारत ???

WORK FROM HOME और ZOMATO , SWIGGI के ज़रिये KFC , MAcDONALD , PIZZA HUT से  JUNK FOOD मंगवा के खाना , AMAZON या किसी भी ONLINE STORE से  MARKETING हमे  पूरी तरह आलसी और निक्कमा बना दे रहा है , आगे चल के हमारी सेहत का क्या होगा कभी  सोचा है आपने ।

खेल और जीवन सदियों से एक दूसरे से जुड़े हुए है हर कोई खेल को प्यार करता है , बहुत से बच्चों में एक अच्छा खिलाडी बन ने कि प्रतिभा भी होती है पर अफ़सोस आज के अभिभावकों  कि मानसिकता का की वो बस बच्चे की लाइफ का एक ही ही GOAL SET कर देते है की उसे खूब पढ़ना लिखना  है । आखिर वजह क्या है , वजह है डर , अनिस्चता , पैसा , PROPER COACHING , राजनीति और प्रभाव का , और यूँ वो अपने बच्चे की प्रतिभा का वध कर देते है , एक खिलाडी की मौत हो जाती है ।

भारत एक खोज , भारत की खोज ” SPORTO” APP , एक TEAM जो करती है वादा की अब कोई और खिलाडी नहीं मरने पायेगा , हर खिलाडी को SPONSERSHIP उसके पसंद के खेल की 100% FREE ONLINE और PHYSICAL COACHING जिस से की किसी भी अभिवावक को जब उनका बच्चा खेल रहा हो तो किसी भी बात की TENSION ना हो, इतना ही नहीं ” SPORTO ” हर खेल प्रेमियों को उनके पसंद के खेल की LOCAL से GLOBAL UPDATES , पल पल हर पल की खबरे देगा जहां POST , LIKE , SHARE , REELS पे प्रोत्साहन के लिए बहुत से रिवॉर्ड भी देगा ।

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