HELLO FREINDS,

वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है  वो 2023 था ये 2024 है और दोस्तों ये मेरी  GAURNTEE है की ये भी एक साल से ज्यादा नहीं चलने वाला , तो क्यों ना हम इस साल ऐसा कुछ करे की ये साल भी बस एक बीते सालों वाला एक साल बन के ना रह जाये ।

अगाह अपनी मौत से कोई बसर नहीं , सामान सौ बरस का पल की खबर नहीं 

दोस्तों , ज़िंदगी की पहली सांस के साथ शुरू होता है मौत तक का सफर और हर एक बीतता पल हमें अपने FINAL  DESTINATION यानि मौत तक ले के जाता है इसलिए हर एक पल कीमती है और हमें हर पल , एक एक पल की कदर करनी चाहिए । लोग अपना समय यूँ बर्बाद करने में लगे है जैसे उनके पास बहुत समय है और आज नहीं तो कल वो अपने सपने को साकार कर लेंगे । वो भूल जाते है की कल कभी नहीं आता “TOMORROW NEVER COMES

सफलता या सफलता के रास्ते, WAY 2 SUCCESS कुछ नहीं बस आपकी सोच , आपके सपनों को पूरा करने का आपका खुद का प्रयास या ACTION है , दोस्तों , हम में से अधिकतर लोग बस सोचते है और सोचते ही रह जाते है, वजह सिर्फ ये है की या तो हम अपने आलस या फेर सही वक़्त पे सही मार्गदर्शन के अभाव में कुछ नहीं कर पाते है , जो सफल हुए है वो कोई दूसरी दुनिआ के इंसान नहीं है वो भी हमारे बिच के इंसान है बस उन्होंने जो सोचा उस पे अमल किया । अपनी मेहनत और लगन से हासिल किया , अपने COMFORT ZONE से बाहर निकल कर संघर्ष किया और जो चाहा वो पाया इसलिए तो कहा जाता है ” जहां चाह वहां राह “

WAY 2 SUCCESS के लिए सब से पहले जरुरी है हम अपने हुनर को पहचाने और फेर उस FEILD के EXPERT को अपना IDEAL  बना के उसे FOLLOW-UP करे क्यों की जब हम किसी RACE में दौडते है तो सब से ज्यादा हमें MOTIVATE करता है हमारे से आगे दौड़ने वाला धावक । 

आप का हर फैसला सही नहीं , आपको हर इंसान सही नहीं मिलेगा , हर राह रोशनी की तरफ ले के नहीं जाएगी , हर FEILD के आप EXPERT नहीं बन सकते , हर लहर आप की नौका को आगे नहीं ले के जाएगी पर , पर आपको  फैसला लेना होगा , लोगो को चुनना होगा , बहुत से ऐसे भी मिलेंगे जो ये कहेंगे की आप से नहीं होगा पर आप को  कोशिश करनी होगी , आपको लहरों में उतरना होगा क्यूकी ज़िंदगी बस किनारे पे  खड़े  हो के  दूसरों की कहानी देखने का नहीं बल्कि खुद के संघर्षो की कहानी लिखने का नाम है  बस एक कोशिश तो कर के देखिये वैसे भी कहा ही जाता है “नहीं मामा से काना मामा अच्छा “

VIRAT KOHLI सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट जगत में एक पहचान बना है ।

उसका अंदाज़ , उसकी अदा, उसका खेल यही तो उसकी पहचान है , वरना विराट नाम के दुनिआ में बहुत से इंसान है 👍

सफलता , Success ज़िंदगी की मंज़िल की वो कहानी है दोस्तों , जिसकी चाहत हर किसी इंसान की होती है , हम सपनो की ऐसी दुनिआ में चले जाते है जो हर किसी का सपना होता है पर हासिल हर किसी को नहीं हो पता । वजह न तो कोई खास होती है और न ही कोई असभव वाली बात होती है बस होती है तो कुछ हमारी खुद की कमियां या फेर सही मार्ग दर्शन का अभाव यानि WAY 2 SUCCESS .

ऐसी कोई मंज़िल नहीं , जहां तक पहुंचने का कोई रास्ता ना हो  

जी हाँ दोस्तों , ये साबित करती हैं  विराट की विराट मेहनत, उसके विराट हौसले और ज़ज़्बे की कहानी जो मुझे आज आप लोगो को है सुनानी। VIRAT KOHLI , ONLY NOT A NAME OF A PERSON OR A PLAYER, बल्कि भारत का एक अनमोल रत्न और भारतीय क्रिकेट जगत की एक अनमोल धरोहर है जिसने हर खेल के दीवानो के दिलो में अपनी विराट और अमिट छवि बनाई है और दोस्तों ये युहीं रातो रात नहीं हो गया , कोई युही सूरज बन के भारतीय क्रिकेट पे नहीं छा गया इसके पीछे है एक विराट संघर्ष , एक विराट लगन, एक ऐसी मेहनती ज़िंदगानी जो हमे प्रेरित करती है , हमे MOTIVATE करती है एक नए विराट के जन्म के लिए ।

WAY 2 SUCCESS OF VIRAT KOHLI

5TH OF NOVEMBER  1988, DEHLI , INDIA ये  वो दिन था जिस एक विराट प्रतिभाशाली क्रिकेटर का जन्म हुआ था जिसे INTERNATIONAL CRICKET COUNCIL ने ” THE MALE CRICKETER OF THE DECADE ” से नवाज़ा है , WAY 2 SUCCESS युहीं विराट की किस्मत की नहीं उसके संघर्षो की कहानी है , कोई जन्म से ही लीडर नहीं होता बल्कि अपनी मेहनत के दम पे ही FOLLOWER से LEADER बनता है और ये साबित कर दिखाया विराट ने TEAM INDIA का CAIPTAN बन के ।

चीकू के NICKNAME वाला ये छोटा सा बच्चा आज KING KOHLI बना और बचपन के NICKNAME से बदल के CHASE MASTER  या RUN MACHINE बन गया । इस पंजाबी मुंडे के पिता प्रेम कोहली DEHLI में एक CRIMINAL LAWYER थे और माता सरोज कोहली एक HOUSEWIFE थी इसका भाई विकाश और बहन भावना , सिर्फ 3 साल की उम्र में विराट ने क्रिकेट का बल्ला उठा के अपने पिता से BOWLING करने का अनुरोध किया था ।

1998 में कोहली के पिता प्रेम जी ने अपने 9 साल के विराट को WEST DEHLI CRICKET ACADEMY में भर्ती किया था जहाँ उनके CHILDHOOD COACH राजकुमार शर्मा सिर्फ 2 हफ्ते में ही विराट से बहुत IMPRESSED हो गए थे पर अफ़सोस इतने प्रतिभावान कोहली को शुरुआत में ही तब पहला झटका लगा जब उनका DEHLI UNDER-14 TEAM में उनका SELECTION नहीं हुआ । तब भाई भतीजावाद के शिकार प्रेम जी को कई CLUBS ने OFFERS किया पर प्रेम जी को पैसो के दम पैर नहीं बल्कि विराट की प्रतिभा के दम पर सिलेक्शन का भरोसा था और वो कहते है ना की हुनर सर चढ़ के बोलता है वो विराट का DEHLI UNDER-15 में सिलेक्शन से सच साबित हुआ ।

18 दिसंबर 2006 को विराट को तब सब से बड़ा झटका लगा जब उनके पिता श्री प्रेम जी कोहली का CEREBRAL ATTACK की वजह से आकस्मिक निधन हो गया जिस पिता ने विराट को हर कदम पे साथ दिया कभी कोई MATCH MISS नहीं होने दिया उस सपोर्टिंग पिता का साथ छूट गया । उनकी माता के अनुसार पिता की मौत ने रातों रात कोहली को विराट बना दिया उसमे एक MATURITY आ गयी वो बहुत ही जिम्मेदार और आक्रामक हो गए और अपने आप को क्रिकेट के लिए पूरी तरह समरप्रीत कर दिया ।

विराट ने अपने जीवन की पहली HALF CENTURY हरयाणा के AGAINST में देहली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में 70 रन बना के की थी । 2003-04 में पहली बार उन्हें DEHLI UNDER-15 की कप्तानी का मौका मिला था और अपने कप्तान के तौर पे उसने 54 रन बना के हिमाचल प्रदेश पे जीत दर्ज की और दूसरे ही मैच में जम्मू – कश्मीर के खिलाफ अपने CARRIER की पहली सेंचुरी 119 रन बना के टीम को जीत दिलाई । 2004 – 05 में DEHLI UNDER-17 से विजय मर्चेंट ट्रॉफी के एक मैच 251 नॉट आउट का रिकॉर्ड बनाया , अब विराट और विराट होता जा रहा था उसके कोच और उसकी टीम ने BARODA के खिलाफ SEMI FINAL में कोहली पे जब भरोसा जताया तो उसने भी वादा किया और 228 रन बना के अपने वादे को शान से पूरा किया ।

18 FEBRUARY 2006, कोहली को रणजी ODI ट्रॉफी में डेब्यू करने का मौका मिला पर अफ़सोस उनको बल्लेबाज़ी का मौका नहीं मिला , 23RD NOV 2006 को तमिलनाडु के खिलाफ पहला घरेलु मैच खेला जिसमे वो बस 10 रन ही बना पाया और लगातार 3 मैचों में वो असफल हो गए , वो कहते है ना लोहा जब तक तपता नहीं तब तक हथौड़ी की छोटों को झेल के आकार लेता नहीं और वो दिन था 18TH दिसंबर 2006 का जिस दिन वो कर्नाटका के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे और उस 40 रन पे नाबाद यही उसी रात अनहोनी हो गयी और उनके पिता का रात 3,54 पे हार्ट अटैक से निधन हो गया पर विराट इस झटके को झेल के भी दूसरे दिन मैदान पे उतरा और 90 रन पे आउट हुआ ।

जिस CLEARTY और FOCUS से उसने हर संघर्ष से लड़ा ऐसा ही लड़का तो हमारे लिए प्रेरणादायक है

इसलिए तो हर कोई बस नाम से ही विराट नहीं बन जाता है, कठिन है पर है तो एक रह ही “WAY 2 SUCCESS”

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