कभी भी गिर जाओ पर हार न मानो, जीवन में अपना लक्ष्य क्या है वह पहचानो
जी हाँ दोस्तों , रोहित शर्मा आज भारतीय क्या पूरी दुनिआ के क्रिकेट जगत में वो नाम है जिसे किसी पहचान की जरुरत ही नहीं है । क्रिकेट का बेताज बादशाह होने के साथ ही साथ एक सुलझा हुआ रणनीतिकार भी है जो भारतीय क्रिकेट को एक नया आयाम दे रहा है । सिर्फ महान बल्लेबाज़ी की प्रतिभा ही बल्कि एक कुशल कप्तानी का लोहा मनवाने वाली कला का भी धनी है । आज हम जानेगे उसके संघर्षो की कहानी यानि WAY 2 SUCCESS .
तुम्हारा सपना उस दिन पूरा होगा जिस दिन तुम इस दुनिआ की भीड़ में अपने आप को ढूंढ पाओगे
भीड़ – शक्ति या सीमा
इंसान एक सामाजिक प्राणी है , एक- दूसरे को देखकर सीखता है और जीता है , सामाजिक परिवेश एक आवस्यकता है , लेकिन इसका एक पहलू यह भी है की हम सब ने इस सामाजिक परिवेश की जरुरत को जरुरत से ज्यादा अपनी मज़बूरी बना लिया है । यह विकास के लिए SUPPORT SYSTEM होने के बजाय अवरोध बनता जा रहा है । ” आप को समाज में ही रहना है , समाज के ही नियम – कानून के अनुसार ही चलना है ” – यह सोच आप के दिमाग में इस कदर बैठा दी जा रही है की अगर आपने कुछ भी अलग किया तो आप पीछे छूट जायेंगे , समाज से बहिस्कृत हो जायेंगे , आप SURVIVE नहीं कर पाएंगे । मतलब आप को समाज की जरुरत है और आप को उन सीमाओं में ही रहना है जो हमारे समाज के अग्रणी लोगों ने एक लक्ष्मण- रेखा की तरह हमारे चारों और खींच दी है ।
किसी की सलाह से आप को रास्ता तो जरूर मिलेगा पर मंजिल तो आप को आपकी अपनी मेहनत से ही मिलेगी
WAY 2 सक्सेस, हर कोई सपने देखता है और आखिर देखे भी क्यों नहीं , हम इंसान है एक समझदार और सोचने समझने वाले प्राणी, हम केला छील के खाते है और ये सब हमें देख सुन के सिख के समझ आया है तो हम क्यों नहीं उन लोगों को समझे जिन्होंने अपने सपने पूरे करने के लिए कुछ अलग किया , समाज की सीमाओं में बंधे नहीं रहे , उन्होंने परवाह नहीं की लोगों की । ये दायरे, ये हदे हमारी खुद की बनाई हुई है किसी सर्व- शक्तिमान की बनाई हुई नहीं है जिसे तोड़ने से आप का कोई अहित होगा , कुछ तो अलग करने की सोच को साकार कीजिये । क्या होगा हद से हद असफल ही तो होंगे पर दोस्तों , सफलता की पहली सीढ़ी असफलता ही होती है , हर सफल लोगों की कहानी देख लीजिये उन्होंने भी बस असफलता को महज एक गलत रास्ता मान के फेर से नए रास्ते से शुरुआत की है ।
कोई भी नई शुरुआत कभी भी ” ZERO ” से नहीं होती है बल्कि एक अनुभव से होती है
दोस्तों , आप सभी ने ELAN MUSK का नाम जरूर सुना होगा , आज वो दुनिआ का सब से ज्यादा पैसे वाला और TESLA का मालिक है , उसका भी सपना उसके ROCKET के ब्लास्ट होने से टुटा जरूर पर बिखरा नहीं , उसने अपनी असफलता से एक अनुभव लेकर नयी शुरुआत की और सफल भी हुआ तो दोस्तों , असफलता से हमें बस एक सबक मिलता है , एक अनुभव मिलता है ना की कुछ भी ना करने की निराशा । किसी भी सफल आदमी की कहानी उठा के देख लीजिये हर किसी को पहले पहल असफलता ही मिली है इसलिए दोस्तों , असफलता को सफलता का एक कांटो वाला रास्ता मान के कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए ।
इतिहास रचने के लिए लड़ना पड़ता है ,सिर्फ किस्से – कहानी से कोई राजा नहीं बनता
10 साल स्कूल , 4 साल college फेर एक जॉब , एक अच्छी सी नौकरी ये दायरे बने हुए है आज के लिए हर युवा के , क्या आप इन हदों में रह के इतिहास रच सकते है । जवाब आप का खुद का होगा कदापि नहीं , दोस्तों , इतिहास उनके लिखे जाते है जो कुछ अलग करते है , इन सीमाओं से बहार निकल कुछ नया करते है और ऐसा करने के लिए वो उन सभी समाज के कर्ण- धारको से लड़ते है , जो उन्हें ये कहते है की ” तुम से नहीं होगा “ उनको वो पलट जवाबदारी ना दे कर , करके दिखाते है और अपने आप को साबित करके ये भी भी साबित करते है की राजा वही बनता है जो लड़ता है , किसी भी वीर की वीरता किस्से- कहानियो से नहीं बल्कि मैदाने – ऐ- जंग में उनके कारनामों से उनके लड़ने के अंदाज़ से , उनके रण कौशल से होती है
जीवन की असली शुरुआत तो तब होती है जब और जहां से आप का डर ख़तम हो जाता है
हमारे अंदर एक डर बैठ गया है की हम कुछ नया कर ही सकते और अपने आप को एक GLASS SEALING में घिर गए है , पर जिन लोगों ने इस गिलास सीलिंग को तोड़ने का साहस किया है उन्ही में से एक है हमारे सब के पसंदीदा खिलाड़ी ROHIT SHARMA – THE HITMAN , जो न कभी किसी से डरा और न ही कभी रुका , हम ऐसे लोगों के संघर्ष की कहानी से प्रेरित होकर खुद की कहानी लिखेंगे ।
दोस्तों , मैं अपने किसी भी ब्लॉग में किसी भी खिलाड़ी के रिकार्ड्स की चर्चा नहीं करना चाहता वो तो आप को कही से भी मिल जायेगा , मेरा मकसद है उसके संघर्ष की कहानी से उन के WAY 2 SUCCESS को जानना है जिनके चलते वो इस मुकाम तक पहुंचे है ।
आज जो फूलो का गुलदस्ता दिख रहा है वो कोई उपहार में नहीं मिला है बल्कि बहुत सी कांटो भरी राहों पे चलना पड़ा है
30TH अप्रैल 1987 में MAHARSTRAA में जन्मा ये बच्चा भारत के तीनो क्रिकेट फॉर्मेट की कप्तानी तक सफरनामा बहुत ही मुश्किलों से भरा हुआ था पर हमारे इस हरदिल अज़ीज़ ने हर मुश्किल को अपने स्टाइलिश अन्दाज़ में HIT कर अपनी LIFE-BOUNDRY के बाहर भेजा और भारत के हर खेल प्रेमी के लिए रोहित शर्मा की जगह NIKNAME HITMAN बना ।
दोस्तों , हमारे प्यारे रोहित का जन्म बहुत ही गरीब परिवार में नागपुर में हुआ था उसके पिता बस एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में केयर टेकर थे और वे सब एक छोटे से कमरे में पिता गुरुनाथ शर्मा , माता पूर्णिमा शर्मा और छोटा भाई विशाल शर्मा रहते थे , आर्थिक कमी के चलते रोहित को उसके दादा दादी और चाचा – चाची ने मुंम्बई बुला लिया और उसके पालनहार बने और वो बीएस वीकेंड पे ही अपने माता – पिता से मिलने जाते पाते थे ।
12 वर्ष की उम्र में रोहित के चाचा ने पैसे खर्च करके पहले क्रिकेट कैंप में भेजा जहां उनके लाइफ का पहला कोच DINESH LAD मिले , जिन्होंने रोहित को स्कूल चेंज करने की एडवाइस दी पर रोहित दूसरी स्कूल को AFFORD करने के काबिल नहीं थे तो उन्होंने उसे 4 वर्षो की SCHORSHIP दिला दी , जिस से की रोहित को अगले 4 साल क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए एक भी पैसे नहीं देने पड़ने थे ।
रोहित ने अपने क्रिकेट की शुरुआत एक OFF- SPINNER के तौर पे की और बस एक पुछल्ले बल्लेबाज़ के रूप में बल्लेबाज़ी करने आते थे , कोच LAD ने उनकी BATTING ABILITY को नोटिस किया और उनको NO , 8 से OPENNING पे PROMOT किया और यूँ वो जिंदगी में पहली मर्तबा OPENER बैट्समैन बना जो आज तक है , रोहित ने अपने करियर की OPENING DEBUT CENTURY के साथ की और फेर कभी पीछे मुड़ के न देखा ।
अभाव- तनाव और बेशुमार चुनौतियों से झुझते हुए भी बिना डरे LIST A से WEST ZONE की तरफ से CENTRAL ZONE के अगेंस्ट में भारतीय क्रिकेट जगत में पर्दापण किया 2005 में पर उन्हें 8TH NO पे बैटिंग का मौका मिला और उन्होंने 31 नॉट आउट की बेहतरीन इनिंग खेली साथ ही साथ दोस्तों , हमारे आज के दो और परिचित खिलाड़ी रबिन्द्र जडेजा और चेतसवर पुजारा ने भी इसी मैच में डेब्यू किया था। रोहित ने अपनी पहली सेंचुरी 142 रन्स सिर्फ 123 गेंदों में नार्थ जोन के खिलाफ बनायीं थी ।2006 जुलाई, रोहित ने अपना FIRST-CLASS डेब्यू NEW ZEALAND के अगेंस्ट किया था ।
ऐसे ही जांबाज़ और साहसी खिलाड़ी हमारे प्रेरणा स्रोत होने चाहिए जिन से हम ये सिख पाए की कोई वि इंसान कहाँ भी जन्मा हो कितने ही अभावो में जिया हो , हमारे बिच, हमारे जैसे दायरों की कैद से कैसे बाहर निकल अपनी पहचान बनाया ।